कैसे प्राइवेट इंस्टीट्यूट मार रहे गरीब जनता की जेब पर डाका,

कैसे प्राइवेट इंस्टीट्यूट मार रहे गरीब जनता की जेब पर डाका, सरकारी आईटीआई के प्रिंसिपल ने बताई ये एहम बाते ।
आजकल निजी और सरकारी आईटीआई में एडमिशन का दौर चला गया है, सरकारी आईटीआई में दो काउस्लिंग हो चुकी है फिलहाल आखरी तीसरी काउसलिंग होना बाकी है वही प्राइवेट आईटीआई वालो ने भी एडमिशन पर पूरा जोर दिया हुआ है।
ऐसे में बच्चों और माता पिता की जानकारी के लिए पांवटा साहिब के सरकारी आईटीआई के प्रिंसिपल से जब हमारी बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि सरकारी आईटीआई में मैरिट लिस्ट में यदि बच्चे का नाम आता है तो उसकी फीस 8000 और यदि मैरिट लिस्ट में नाम नहीं आता है तो 15000 फीस ली जाती है ।
प्राइवेट आईटीआई के लिए उन्होंने कहा कि प्राइवेट आईटीआई की फीस सरकारी आईटीआई से 25 से 30% ज्यादा होती है यानी तकरीबन ज्यादा से ज्यादा 35 हजार से लेकर 45 हजार के आस पास तक फीस में बच्चा अपना कोर्स कर सकता है । लेकिन प्राइवेट आईटीआई में ये फीस इस अमाउंट से कई ज्यादा ली जा रही है जिस और किसी का कोई ध्यान नही है।
गरीब जनता की जेब पर डाका डालने के सबसे अच्छा तरीका है जनता को सरकार द्वारा निर्धारित फीस की जानकारी न देकर अपनी फीस लंबा चौड़ा मेन्यू माता पिता या बच्चे के सामने रख दिया जाता है।
फीस के साथ साथ लोगो की खून पसीने की कमाई को पहले फीस के रूप में उसके बाद इंस्टीट्यूट से ही किताबें बेची जाती है और उसके बाद 8 – 8, 10 – 10 हजार रुपए फाईन के नाम पर बच्चों से ले लिए जाते है जिसका सबूत इंस्टीट्यूट के नाम के साथ फाईन की स्लिप हमारे हाथ लगा है ।
फिलहाल देखना ये होगा कि ऐसे इंस्टीट्यूट पर प्रशासन द्वारा क्या करवाई की जाती है ।