पार्किंसंस रोगियों के लिए डीप ब्रेन सिटमुलेशन तकनीक वरदान की तरह
पिछले 5 वर्षों से पार्किंसंस रोग से पीडि़त एक 64 वर्षीय मरीज में हाथ, बाजू, सिर का कांपना, बोलने में कठिनाई, अंगों की जकडऩ और बिगड़ा समन्वय जैसे लक्षण दिखाई दे रहे थे। उन पर दवाएं बेअसर होने के कारण समस्या बढ़ रही थी, जिसने उनके स्वास्थ्य व दैनिक जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल दिया था।
ऐसे में डीप बे्रन स्टिमुलेशन तकनीक से उनका इलाज संभव हो पाया। यह बात जाने माने न्यूरो सर्जन निशित सावल ने पांवटा साहिब में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में कही, जो कि उत्तर भारत में एकमात्र फोर्टिस अस्पताल मोहाली में पार्किंसंस रोगों/दिमाग से संबंधित ऐसे गंभीर मरीजों के लिए हर शनिवार चलाई जा रही ‘मूवमेंट डिसआर्डर क्लिनिक’ संबंधी अवगत करवाने के लिए शहर में पहुंचे थे।
डा. निशित सावल ने बताया कि मूवमेंट डिसआर्डर व्यक्ति जिसके शरीर का कोई अंग सामान्य से ज्यादा हिलता, कंपन या फडक़ता हो, तो उसको मस्तिष्क से कंट्रोल किया जा सकता है। उन्होंने उपरोक्त मरीज के उपचार में प्रयोग की गई
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक संबंधी अवगत करवाते हुए बताया कि रोगी के दिमाग को इलेक्ट्रिकल तंत्र से चलाने के लिए एक इलेक्ट्रोड (वायर/स्विचर की तरह दिखने वाली इलेक्ट्रिकल वस्तु) को संबंधित मरीज के मस्तिष्क में डाला जाता है, जिससे उसके मस्तिष्क में प्रभावित कोशिकाओं व कैमिकल्स का उपचार डाक्टर द्वारा रिमोट से किया जाता है। उन्होंने बताया कि अच्छी देखभाल के बाद उक्त मरीज की सेहत में सुधार हुआ और लक्षण कम होने लगे। धीरे-धीरे उनकी जिंदगी पटरी पर लौट आई और आज वह सामान्य जीवन जी रहे हैं।
डॉ. निशित सावल ने बताया कि डीबीएस ने पार्किंसंस रोग से पीडि़त रोगियों के उपचार में क्रांति ला दी है। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन पार्किंसंस रोग के रोगियों में बड़ी जटिलताओं में सुधार करता है। हाथ, बाजू, सिर का कांपना और चलने में कठिनाई जैसे लक्षण सर्जरी के बाद कम हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि इसी तरह एक अन्य 65 वर्षीय व्यक्ति, पिछले आठ वर्षों से पार्किंसंस रोग से पीडि़त था। उनकी बीमारी एक उन्नत अवस्था में थी और उन्हें चलने के लिए सचमुच अपने पैरों को घसीटना पड़ता था। रोगी की डीबीएस सर्जरी हुई जिसके बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ और पार्किंसंस रोग से संबंधित लक्षण कम हो गए।
उन्होंने बताया कि मूवमेंट डिसऑर्डर क्लिनिक हर शनिवार मोहाली स्थित फोर्टिस अस्पताल में सुबह 11 से 2 बजे तक चलती है, जहां उनके अलावा न्यूरो मॉडयूलेशन टीम में शामिल एडिशनल डायरेक्टर डा. अनुपम जिंदल, न्यूरो इंटरवेंशन व इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी कंस्लटेंट डा. विवेक अग्रवाल, न्यूरो रेडयोलॉजी कंस्लटेंट डा. अभिषेक मिलकर ऐसे मरीजों की पहचान कर उन्हें सही इलाज करवाने की सलाह देते हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल में फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट से मंजूरशुदा वैगल नर्व स्टिमुलेशन (वीएनएस) से मिर्गी व डिप्रेशन के मरीजों का इलाज किया जाता है।