साहिबज़ादो के शहीदी सप्ताह पर गुरुद्वारा पांवटा साहिब के सामने लगी नाटियां
साहिबज़ादो के शहीदी सप्ताह पर गुरुद्वारा पांवटा साहिब के सामने लगी नाटियां
शहीदी सप्ताह पर परमिशन देने से पहले नगर परिषद ने क्यों नहीं किया विचार ।
पांवटा साहिब में दून पहाड़ी संगठन ने पहाड़ी परम्परा को जीवित रखने के लिए एक पहाड़ी सम्मेलन किया,पहाड़ी कल्चर को बढ़ावा देने के लिए अनेक पहाड़ी कार्यक्रम हुए ।
पहाड़ी सम्मेलन कि टाइमिंग को लेकर पांवटा साहिब के लोगों, सिख समाज के लोगों के साथ साथ हिन्दू समाज के लोगों ने बड़ा एतराज जाहिर किया है।
लोगो का कहना है कि ये सप्ताह सिख समाज बड़े दुख के साथ मनाता है क्योंकि 21 दिसंबर से 27 दिसंबर तक सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादे (चार पुत्र) शहीद हुए थे, जिस कारण ये सप्ताह शहीदी दिहाड़ा के रूप में मनाया जाता है ।
ये पूरा प्रोग्राम पहाड़ी कल्चर पर था जिसमें पहाड़ी गानों के साथ साथ गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब के सामने नाटी लगाई गई लेकिन किसी ने कोई सवाल खड़ा नहीं किया ।
आपको बता दे कि ग्राउंड के एक तरफ गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब, दूसरी तरफ सीडीएम ऑफिस और नगर परिषद है।
दरहसल लोगों का एतराज सम्मेलन से नहीं बल्कि एतराज सम्मेलन कि टाइमिंग, नगर परिषद द्वारा दी गई परमिशन और गुरुद्वारा पांवटा साहिब द्वारा इस मामले में चुप्पी साधने पर था ।
वही नगर परिषद पांवटा साहिब कि इस सम्मेलन के लिए परमिशन पर भी लोगों ने एतराज जताया है लोगो ने कहा कि नगर परिषद चेयरमैन सिख समाज से होने के बावजूद ये चूक कैसे हुई और इस सम्मेलन का हिस्सा रही।
आपको बता दे साहिबजादा बाबा अजीत सिंह का जन्म पांवटा साहिब में हुआ था और धर्म की लड़ाई लड़ते लड़ते शहीद हो गए थे।
वही इस पूरे मामले गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब कमेटी का अभी तक कोई रिएक्शन नहीं आया है, गुरुद्वारा कमेटी में पकड़ रखने वाले कांग्रेस नेता हरप्रीत सिंह रत्न इस मामले में कमेटी से कोई बातचीत करेंगे या नहीं ये भी देखने का विषय रहेगा।
वही दून पहाड़ी संगठन में पदाधिकारियों से हमारी बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि हमें किसी ने इस बारे नहीं कहा, अगर किसी की भावना आहत हुई है तो हम सिख समाज से माफी मांगते है ।