‘‘ है भगवान गोभक्त साचिन के पास बचा है बस गुर्दा, बोलों खरीदोगे क्या ?

 

गोभक्ती में लीन अपना सबकुछ दाव में लगा चुके कभी पत्रकार रहे सचिन ऑबराय ने जहां अपने सनकीपन से करियर तबाह कर चुके है, वहीं लाखों रूपये का कर्जा गोशाला के नाम पर पानी की तरह बर्बाद कर चुके है।

पीछले 3 सालों से श्री सत्यानंद गोधाम का संचालन करने वाले सचिन गोवंश को बचाने के लिए ऐसा लगता है कि वो अन्दर से ही नहीं बाहर तक से टूट चुके है।

अफसोस बिना किसी तरह की सरकारी मदद के गोशाला का संचालन करने वाले सचिन की एक फेसबुक पोस्ट ने उनके चाहने वालों को हिला कर रख दिया है। 100 से अधिक गोवंश को पालने वाले सचिन अब लाचार दिख रहे है।

हैरानी है तो बस इतनी सी कि सचिन की चिंता उन तथाकथित गोभक्तों को भी सताने लगी है जिन्होंने कभी सचिन के गोवंश के प्रति प्रेम को ना देखा ना परखा।

अपना घर फूंक कर सामजसेवा करने वाले सचिन ओबरॉय के इस गोप्रेम को लोग अलग अलम चश्में से देख रहें है।

सचिन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है ‘‘ काश में अपनी सांसे और किड़नी बेच पाता, गोवंश और अपना परिवार बचाने के लिए ‘‘ गोवंश के नाम पर करोड़ो रूपये की योजनाओं को ढ़ोल पीटने वाले सिस्टम को सचिन की इस पोस्ट ने सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है।

एक गोभक्त की इस हालत का जिम्मेवार कौन है ये तय कौन करेगा इस सवाल का जवाब भी किसी के पास नहीं है।

ख़बर थी की गोशाला के लिए सचिन अपना एक मात्र घर बेचने वाले है, लेकिन देनदारी इस हद तक हैै, घर बेचने से समस्या कम तो हो सकती है लेकिन खत्म नहीं हो सकती।

सचिन की गोशाला संचालन में लाखों रूपये महीने का खर्च आता है जिसका भुगतान अब सचिन के लिए बड़ी मुसीबत बन चुका है।

कहा यहां तक जा रहा है कि अब सचिन के पास डोनेशन जुटाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है,

सचिन की इस हालत के पीछे अनका उनका डोनेशन के लिए किसी के आगे हाथ ना फैलाना भी जिम्मेवार है। अब सवाल है सचिन की श्री सत्यानंद गोधाम का क्या होगा ?

क्या दान देने वालों के हाथ में होगा गोधाम का भविष्य ? जवाब के लिए थोड़ा सा इंतज़ार करना होगा

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